PETA इंडिया की शिकायत पर कार्रवाई: मुंबई में दुर्व्यवहार और उपेक्षा के शिकार छह घोड़े जब्त, पुलिस ने FIR दर्ज की

Posted on by Surjeet Singh

PETA इंडिया ने दो घोड़ों के घायल होने और उन्हें बिना छाया, भोजन या पानी के बांधे रखने की सूचना मिलने पर तुरंत कार्रवाई की। PETA की शिकायत पर शिवाजी पार्क पुलिस स्टेशन के अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर जांच की, जहां उन्हें चैत्यभूमि डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर स्मारक से सटे हिंदू श्मशान भूमि के पास बीच पर अवैध रूप से रखे गए छह घोड़े मिले। इनमें से दो घोड़े अत्यधिक कुपोषण का शिकार थे – उनकी पसलियां और रीढ़ की हड्डी साफ दिखाई दे रही थीं – और उनके शरीर पर कई घाव मौजूद थे। सभी घोड़ों को बेहद अमानवीय और उपेक्षित हालात में रखा गया था।

शिवाजी पार्क पुलिस स्टेशन ने पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 की धारा 3 और 11 के अंतर्गत घोड़ों के संरक्षक के खिलाफ FIR दर्ज की है। अगले ही दिन सभी छह घोड़ों को चिकित्सकीय परीक्षण, पशु चिकित्सकीय देखभाल और सुरक्षित रख-रखाव के लिए बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) के मालाड स्थित पशु आश्रय केंद्र में स्थानांतरित किया गया, जहां वे अदालत के अंतिम निर्णय तक सुरक्षित रूप से रखे जाएंगे।

बिना लाइसेंस वाले अस्तबलों या अस्थायी ढांचों में घोड़ों को रखना न केवल अवैध है, बल्कि उन्हें सवारी के लिए इस्तेमाल करना अत्यंत क्रूर भी है। इसके बावजूद, इन घोड़ों को बार-बार घायल होने, कुपोषण से जूझने और गंदगी व असुरक्षित परिस्थितियों में बिना पर्याप्त आश्रय के बंधे रहने के लिए मजबूर किया जाता है। PETA इंडिया मुंबई पुलिस से अपील करता है कि वह शहर में घोड़ा-गाड़ियों के किसी भी अवैध उपयोग पर सख़्त कार्रवाई करे और बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) से मांग करता है कि वह बिना लाइसेंस वाले अस्तबलों में घोड़ों को रखे जाने की प्रथा पर शीघ्र रोक लगाने के लिए ठोस और प्रभावी कदम उठाए।

PETA इंडिया ने अपनी शिकायत में उल्लेख किया कि माननीय बॉम्बे हाईकोर्ट ने 8 जून 2015 को दिए गए आदेश (मामला: Animals and Birds Charitable Trust बनाम MCGM व अन्य, जनहित याचिका संख्या 36/2011) में मुंबई में घोड़ा-गाड़ियों (विक्टोरिया बग्घियों) के उपयोग पर रोक लगाते हुए शहर में घोड़ों को रखने को अवैध घोषित किया था। अदालत ने यह निर्णय मुंबई महानगरपालिका अधिनियम, 1888 के तहत लाइसेंस प्राप्त अस्तबलों की अनुपस्थिति के आधार पर दिया था। इस आदेश के तहत बृहन्मुंबई महानगरपालिका (MCGM) को निर्देश दिया गया था कि वह ऐसे सभी अस्तबलों को बंद करे और मुंबई पुलिस को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया था कि इस प्रतिबंध का सख़्ती से पालन हो और उल्लंघन करने वालों के विरुद्ध उचित कार्रवाई की जाए।

जुलाई 2017 में, माननीय हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार द्वारा घोड़ा-गाड़ी मालिकों और चालकों के लिए प्रस्तुत पुनर्वास योजना को स्वीकार कर लिया, जिसके तहत घोड़ों को मुंबई की सड़कों से हटाने और चालकों को विक्रेता लाइसेंस या आर्थिक सहायता प्रदान करने की व्यवस्था की गई, ताकि उनका आजीविका-स्रोत बना रहे। इसके बाद PETA इंडिया ने मई 2018 में महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्य सचिव को पत्र लिखकर इस योजना को शीघ्र लागू करने की अपील की थी, और यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया था कि बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) को राज्य सरकार द्वारा स्वीकृत आवश्यक धनराशि तत्काल प्राप्त हो। इस पहल के चलते कई घोड़ा-गाड़ी चालक धीरे-धीरे हेरिटेज-शैली की मोटर चालित ई-कैरिएज गाड़ियां अपनाने लगे, जिससे न केवल उनकी आजीविका सुरक्षित हुई, बल्कि पशु क्रूरता भी कम हुई।

पशुओं पर क्रूरता होते देखें तो उसकी रिपोर्ट करें