PETA इंडिया ने ‘आजीवन लॉकडाउन’ वाले बिलबोर्ड के माध्यम से कैदी पक्षियों की आज़ादी के लिए आवाज़ उठाई

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COVID -19 के दौरान देशभर में लगाया गया लॉकडाउन अब एक याद बन गया है और इसी संदर्भ में पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया ने लखनऊ, दिल्ली, अहमदाबाद, कोलकाता और मुंबई के पक्षी बाजारों के पास बिलबोर्ड लगवाकर लोगों को यह समझाने का प्रयास किया कि पिंजरों में कैद पक्षी जीवन भर के लिए कठोर लॉकडाउन का सामना करते हैं और उन्हें बाजारों या पालतू जानवरों की दुकानों से कोई पक्षी न खरीदकर इन पक्षियों को आज़ादी दिलाने में अपना सहयोग देने हेतु प्रेरित किया।

प्रकृति में रह रहे पक्षी अपनी इच्छानुसार उड़ने और सामाजिक गतिविधियों में भाग लेते हैं जैसे रेत से स्नान करना, लुका-छिपी खेलना, नृत्य करना, अपने साथियों के साथ घोंसला बनाना और अपने बच्चों का पालन-पोषण करना शामिल है। लेकिन जिन पक्षियों को ऐसे पिंजरों में कैद रखा जाता है जिनमें वह अपने पंख भी नहीं फैला सकते या किसी भी प्रकार की शारीरिक गतिविधि करने में असफल होते हैं वह ज़्यादातर मानसिक उदासीनता या विरक्ति का सामना करते हैं। इसी हताशा के चलते यह पक्षी अक्सर खुद के पंख नोच-नोचकर स्वयं को पंखविहीन बना देते हैं या  कोई लोग जानकार इन पक्षियों के पंख कुतर देते हैं जिससे यह उड़ न सकें।

 

PETA इंडिया द्वारा हाल ही में की गई अपील के बाद, केंद्र सरकार के वैधानिक निकाय “भारतीय जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड” ने उड़ने वाले पक्षियों को पिंजरे में कैद करने पर लगाए गए प्रतिबंध को सुनिश्चित करने हेतु सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एक नई एडवाइजरी ज़ारी की थी । पक्षियों को पंजरों में कैद करना “पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960” और ज़्यादातर केसों में “वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972” का उल्लंघन है।

 

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