PETA इंडिया द्वारा घोड़ा गाड़ियों को ई-रिक्शा से बदलने हेतु समारोह का आयोजन किया गया

Posted on by Erika Goyal

PETA इंडिया द्वारा आयोजित कार्यक्रम में 29 मार्च 2022 को ओखला सब्जी मंडी में काम के लिए इस्तेमाल हो रहे पांच घोड़ों के पुनर्वास के बदले, विनय रावत, पीरा गढ़ी के पार्षद और रोहिणी जोन, नई दिल्ली नगर परिषद (NDMC) के पूर्व अध्यक्ष ने घोड़ागाड़ियों के पूर्व मालिकों को विशेष रूप से डिजाइन किए गए ई-रिक्शा की चाबियां सौंपी।

दिल्ली मशीनीकरण परियोजना को Giving Economy Changemakers पुरस्कार से नवाज़ा गया है और इसका प्रमुख उद्देश्य शोषण एवं दुर्व्यवहार सहने वाले कामगर बैलों, गधों, खच्चरों और घोड़ों को काम से मुक्त कर इनका उपयोग करने वाले परिवारों को बेहतर आजीविका के अवसर प्रदान करना है। इसके तहत वर्ष 2018 से अभी तक PETA समूह द्वारा 40 बैलगाड़ी एवं 40 घोड़ा मालिकों को उनके पशुओं के बदले बेट्री चलित वाहन प्रदान किए गए हैं व उनके पशुओं को पुनर्वास हेतु सेंक्चुरी में भेजा गया है।

दिल्ली में, 20 अलग अलग बाज़ारों में लगभग 250 बैलगाड़ियाँ हैं और सात क्षेत्रों में लगभग 150 घोड़े गाड़ियाँ हैं जिनसे माल ढुलाई का काम लिया जाता है। पशु के बीमार या यातायात दुर्घटनों में घायल होने अथवा वातावरण के प्रदूषित होने के बावजूद भी इन पशुओं से लगातार काम लिया जाता है। वह चाबुक, दर्दनाक नाक की रस्सियों, और नुकीले बिट्स का उपयोग करते हुए उन्हें ओवरलोडेड गाड़ियों को ढोने के लिए मजबूर करते हैं। इन जानवरों को उचित पोषण, पर्याप्त पानी या चिलचिलाती धूप से बचने के लिए छाया जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित रखा जाता है।

दिल्ली मशीनीकरण परियोजना से लाभान्वित परिवारों को ई-रिक्शा का उपयोग करने से आय में काफ़ी वृद्धि हुई है और उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति में भी सुधार हुआ है। PETA इंडिया का लक्ष्य है कि दिल्ली सरकार, ई-रिक्शा डीलरों और वित्त कंपनियों के सहयोग से शहर को पशु-गाड़ी मुक्त बनाना है। समूह के अनुसार, ई-रिक्शा के प्रयोग से जानवरों के बीमार या घायल होने व परिवहन नियमों जैसे कारणों से गाड़ी मालिकों की आजीविका में कोई व्यवधान नहीं आता है।  दिल्ली के परिवहन विभाग ने शहर में ई-रिक्शा के संचालन और नियमन के लिए दिशा-निर्देश तैयार किए हैं। दिल्ली का परिवहन विभाग भी ई- रिक्शा खरीदने के लिए ₹30,000 की सब्सिडी भी प्रदान करता है।