150 से अधिक पशु चिकित्सकों ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री से कोलकाता में घोड़ों द्वारा खींची जाने वाली गाड़ियों पर रोक लगाने की अपील की

Posted on by Siffer Nandi

कोलकाता में पर्यटकों की गाड़ियों को खींचने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले घोड़ों की दुर्दशा देखने या उनकी स्थिति के बारे में सामग्री की समीक्षा करने के बाद, 150 से अधिक पशु चिकित्सकों ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को एक अपील भेजी, जिसमें अनुरोध किया गया कि उनकी सरकार जानवरों की खराब सेहत और बिगड़ती स्थिति को ध्यान में रखकर घोड़ागाड़ियों के इस्तेमाल पर रोक लगा दे। PETA इंडिया द्वारा लंबे समय से इन गाड़ियों को मोटर चालित ई-गाड़ियों से बदलने की अपील की जा रही है और हमारे द्वारा घोड़ों के पुनर्वास में सहायता करने का प्रस्ताव भी दिया गया है। मुंबई में, इस प्रकार की घोड़ागाड़ियों को विंटेज शैली के गैर-पशु वाहनों से बदला गया है।

अपनी अपील में, पशु चिकित्सकों द्वारा उल्लेखित किया गया कि कोलकाता में घोड़ों को सख़्त सड़कों पर जबरन भारी भार ढोने के लिए बाध्य किया जाता है जिस कारण उन्हें जीवनभर की गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामान करना पड़ता है जिसमें पैर और पीट की परेशानी एवं लंगड़ापन शामिल है। पशु चिकित्सकों ने PETA इंडिया और CAPE फाउंडेशन के तीन गहन शोधों का भी अध्यन्न किया, जिसमें कोलकाता में पर्यटकों की सवारी के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले 100 से अधिक घोड़े रक्तहीन, कुपोषित और लंबे समय से भूखे पाए गए। इनमें से कई घोड़ों की हड्डियाँ टूटी हुई थी और यह बेज़ुबान प्राणी शहर के गंदे, जर्जर, और अवैध रूप से कब्जे वाले परिसर में अपने स्वयं के माल-मूत्र के बीच रहने के लिए मजबूर थे।

बॉम्बे हाई कोर्ट ने अपने 8 जून 2015 के फैसले में उल्लेखित किया था कि मुंबई में “मनोरंजन सवारियों” के लिए घोड़ा-गाड़ी का उपयोग करना अवैध है। उच्च न्यायालय ने प्रकाशित किया कि शहर में कंक्रीट और तारकोल की सतहों पर घोड़ों को चलाने से जानवरों में कई तरह की खराब स्वास्थ्य स्थितियां पैदा होती हैं और आगे पाया गया कि जिन स्थितियों में घोड़ों को रखा गया था, वे “दयनीय” थीं। अदालत ने यह भी कहा कि गाड़ियों का इस्तेमाल मनोरंजन के लिए किया जा रहा था न कि सार्वजनिक परिवहन के लिए। इसके अलावा, अदालत ने पाया कि मुंबई नगर निगम अधिनियम, 1888 के तहत घोड़ों के किसी भी अस्तबल के पास लाइसेंस नहीं था। इसके बाद, 3 अप्रैल 2017 को, घोड़ा मालिकों द्वारा दायर एक समीक्षा याचिका को खारिज करते हुए, बॉम्बे हाईकोर्ट ने मजबूती से अपना फैसला दोहराया था।

हाल ही में, भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने 6 फरवरी 2023 के अपने आदेश द्वारा, माननीय बॉम्बे उच्च न्यायालय द्वारा घोड़ा-गाड़ियों पर लगाए गए प्रतिबंध के खिलाफ एक अपील को खारिज कर दिया। इस बर्खास्तगी के साथ, बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा पहले लगाए गए प्रतिबंध की फिर से पुष्टि हो गई है।

PETA इंडिया ने कोलकाता में इन घोड़ों से जुड़ी कई सड़क दुर्घटनाओं की एक फैक्टशीट तैयार की है, जिसमें पर्यटकों को खींचने के लिए इनका इस्तेमाल करने के खतरों को दर्शाया गया है। इस तरह की दुर्घटनाओं से जानवरों को दर्द और पीड़ा होती है और यात्रियों के लिए सुरक्षा जोखिम पैदा होता है। इसके अलावा, गाड़ी की सवारी के लिए घायल और कुपोषित घोड़ों का उपयोग करना भारतीय दंड संहिता, 1860 और पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 का उल्लंघन करता है।

ये सभी पशुचिकित्सक जानवरों की परवाह करते हैं और जानते हैं कि उनके लिए सबसे अच्छा क्या है। इन सभी जानकारों द्वारा कोलकाता में घोड़ागाड़ियों पर रोक लगाने का अनुरोध किया जा रहा है!

कोलकाता में घोड़ों की सहायता करें