सौ पशु चिकित्सकों की अपील : ‘सर्कस में जानवरों के इस्तेमाल पर रोक लगाने वाले ड्राफ्ट नियमों को पारित किया जाएँ’

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PETA इंडिया से यह जानने के बाद कि सर्कस में इस्तेमाल होने वाले पशु अत्यधिक दर्द, क्रूरता और पीड़ा का शिकार होते हैं, सौ पशु चिकित्सकों ने “मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री” श्री पुरुषोत्तम रूपाला जी से अपील की है कि सर्कसों में पशुओं के इस्तेमाल पर रोक लगाने वाले ड्राफ्ट नियम जो वर्ष 2018 से लंबित हैं, उनको पारित किया जाए।

इस अपील में पशु चिकित्सकों द्वारा विभिन्न कारणों का हवाला देते हुए सर्कसों में पशुओं के इस्तेमाल को प्रतिबंधित करने का अनुरोध किया गया है जिनमें यह बताया गया है कि जब ज़रूरत नहीं होती तो तब हाथी जैसे पशुओं को जंजीरों में कैद करके, घोड़ों और ऊंटों को लगातार एक स्थान पर बांध करके और कुत्तों को पिंजरों में कैद करके रखा जाता है। इस अपील में पशुओं से जबरन अप्राकृतिक करतब कराने हेतु उन्हें नुकीले उपकरणों से दी जाने वाली यातनाओं एवं शारीरिक शोषण के खिलाफ़ भी आवाज़ उठाई गई है जिससे इन पशुओं के शरीर और दिमाग पर व्यापक नकारात्मक पड़ता है।

वर्ष 2017 एवं वर्ष 2019 में, पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के अंतर्गत गठित भारतीय जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड (AWBI) नामक सांविधिक निकाय ने केंद्र सरकार को सर्कसों में जानवरों के प्रयोग को प्रतिबंधित करने हेतु विशेष कानून पारित करने का सुझाव दिया था। ‘केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण’ ने हाल ही में “द ग्रेट गोल्डन सर्कस” के पंजीकरण को रद्द कर दिया जो भारत में हाथी (संरक्षित जंगली जानवर) का प्रदर्शन करने वाला अंतिम सर्कस था।

बहुत से विशेषज्ञों द्वारा अपनी अपील में बताया गया कि बोलीविया, बोस्निया और हर्जेगोविना, साइप्रस, ग्रीस, ग्वाटेमाला, इटली और माल्टा जैसे देशों ने सर्कस में पशु प्रयोग को प्रतिबंधित कर दिया है।

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