PETA इंडिया की शिकायत के बाद बकरे की बलि देने वाले के खिलाफ़ FIR दर्ज़

Posted on by Erika Goyal

यह जानकारी प्राप्त होने के बाद कि युवकों के एक समूह ने अभिनेता पवन कल्याण की फिल्म भीमला नायक की रिलीज का जश्न मनाने के लिए कथित तौर पर एक बकरे की बलि दी, PETA इंडिया ने चित्तूर के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के साथ मिलकर FIR दर्ज कराने का काम किया। इस बकरे की बलि CSN मूवी थियेटर, पिलेरू, बोदुमल्लुवरिपल्ले, चित्तूर में दी गई। यह क्रूर घटना वीडियो में कैद की गयी, जिसमें लोगों को भयभीत बकरे के सामने खड़े होकर फोटो और वीडियो के लिए पोज देते हुए दिखाया गया। इसमें बकरी को पूरी तरह से सचेत और सबके सामने क्रूर ढ़ंग से कटते हुए देखा जा सकता है। वीडियो में यह भी देखा गया कि वीडियो में यह भी दिखाया गया है कि एक आदमी अपने नंगे हाथों से बलि दिए गए बकरे का खून इकट्ठा करता है और उसे फिल्म के पोस्टर पर लगा देता है।

यह FIR “आंध्र प्रदेश पशु-पक्षी बलिदान निषेध अधिनियम, 1950” की धारा 6; भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 34 और 429; शस्त्र अधिनियम, 1959 की धारा 25(1)(ए); और “पशुओं के प्रति क्रूरता का निवारण अधिनियम (PCA), 1960” की धारा 11(1)(ए) के अंतर्गत दर्ज़ की गई।

PETA इंडिया ने अपने द्वारा दर्ज़ FIR में बताया कि “तेलंगाना पशु एवं पक्षी बलिदान निषेध अधिनियम, 1950” की धारा 5 (बी) के अंतर्गत किसी भी व्यक्ति को अपने अधिकार के आधीन स्थान पर किसी भी पशु की कुर्बानी की अनुमति नहीं हैं। धारा 4 के अंतर्गत लोगों के बीच पशुओं की बलि देने, इस प्रकार का प्रदर्शन करने या इसमें भाग लेने पर पूरी तरह से रोक है। धारा 8 अधिनियम के तहत सभी अपराधों को संज्ञेय बनाती है।

मांस के लिए जानवरों की बलि और हत्या के संबंध में दो मामलों पर आदेशों के माध्यम से, सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि जानवरों को केवल आधिकारिक रूप से लाइसेंस प्राप्त बूचड़खानों में ही वध किया जा सकता है और नगरपालिका अधिकारियों को इस फैसले का अनुपालन सुनिश्चित करना चाहिए। पशुओं के प्रति क्रूरता का निवारण (वधशाला) नियम, 2001, और खाद्य सुरक्षा और मानक (खाद्य व्यवसायों का लाइसेंस और पंजीकरण) विनियम, 2011 के अंतर्गत लाइसेंस प्राप्त बूचड़खानों में कुछ विशिष्ट उपकरणों का प्रयोग कर केवल भोजन के लिए जानवरों के वध की अनुमति दी गई है।

गुजरात, केरल, पुडुचेरी और राजस्थान में पहले से ही ऐसे कानून हैं जो मंदिर या उसके परिसर में किसी भी जानवर के धार्मिक बलिदान को प्रतिबंधित करते हैं। आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना राज्य धार्मिक स्थल या उसके परिसर में, सार्वजनिक स्थल पर धार्मिकता से जुड़े किसी भी कार्यक्रम या जुलूस में पशुओं की बलि को प्रतिबंधित करता हैं।

पशु बलि गलत क्यों है?