PETA इंडिया की शिकायत के बाद बैलों को लड़ने के लिए उकसाने हेतु तीन अभियुक्तों के खिलाफ़ FIR दर्ज़

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(PETA) इंडिया से शिकायत मिलने के बाद, ठाणे ग्रामीण पुलिस ने दो भैंसों को आपस में लड़ने के लिए उकसाने के आरोप में तीन अभियुक्तों और अन्य अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ FIR दर्ज़ करी। PETA इंडिया ने पुलिस को अपनी शिकायत में, 12 दिसंबर 2021 को हुई घटना का एक वीडियो भी प्रस्तुत किया, जिसमें कानूनी उल्लंघन और जानवरों के प्रति क्रूरता के सबूत हैं। इस वीडियो में देखा जा सकता है कि खून से सनी भैसों के सींग आपस में फंसे हैं और पीछे से लोग उन्हें और उकसा रहे हैं। इन लोगों को भैसों को भड़काने के लिए जानवरों की पूंछ घुमाते और खींचते भी देखा जा सकता हैं।

इस मामले में पडघा पुलिस स्टेशन में “पशुओं के प्रति क्रूरता का निवारण अधिनियम (PCA), 1960” की धारा 3 और 11 (1) (a), (m) (ii), (n) के तहत जानवरों को उकसाने के लिए FIR दर्ज की गई है जिसके अंतर्गत जानवरों को लड़ने के लिए उकसाना और ऐसे आयोजनों को कराने पर रोक है जिससे जानवरों को अनावश्यक दर्द और पीड़ा झेलनी पड़ी। इस FIR में भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 34, 289 और 337 भी शामिल है।

PETA इंडिया इस सिद्धांत के तहत कार्य करता है कि “जानवर हमारे मनोरंजन हेतु इस्तेमाल होने या किसी अन्य तरह से दुर्व्यवहार सहने के लिए नहीं हैं।“ PCA अधिनियम के अनुसार, जानवरों को एक-दूसरे से लड़ने के लिए उकसाना गैर-कानूनी है। वर्ष 2014 के एक ऐतिहासिक फैसले में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने PETA इंडिया और भारतीय जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड की याचिकाओं के पक्ष में फैसला देते हुए यह स्पष्ट किया कि भैस, कुत्ते सहित सभी प्रकार के जानवरों या जानवरों और इन्सानों के बीच मंचित लड़ाइयों का अंत होना चाहिए।

शोध से पता चला है कि जो लोग जानवरों के खिलाफ क्रूरता करते हैं, वह आगे चलकर जानवरों या मनुष्यों को भी चोट पहुंचाने का प्रयास करते हैं। उदाहरण के लिए, वीरप्पन एक पशु शिकारी होने के साथ-साथ एक सीरियल किलर भी था और नोएडा के प्रसिद्ध बाल हत्या कांड में अपराधी मोनिन्दर सिंह को भी जानवरों का शिकार करते पाया गया था। एक अध्ययन में सामने आया, बाल शोषण और उपेक्षा का सामना करने वाले 60% परिवारों में साथी जानवरों को भी शोषण का सामना करना पड़ा।

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