‘विश्व वीगन दिवस’ से पहले “रक्त-स्नान” प्रदर्शन के ज़रिए जानवरों के हित में आवाज़ उठाई गई

Posted on by PETA

‘विश्व वीगन दिवस’ (1 नवंबर) के उपलक्ष्य में PETA इंडिया, के सदस्यों ने खुद को लाल रंग से रंगकर खूनी स्नान के संकेतक के रूप में उन करोड़ों ज़मीनी जानवरों एवं मछलियों के लिए प्रदर्शन किया जो हर साल इंसानों के भोजन हेतु बेमौत मारे जाते हैं।

World Vegan Day demo pic 2021

प्रत्येक व्यक्ति जो वीगन जीवनशैली अपनाता है वह प्रतिवर्ष मांस, अंडा और डेयरी उद्योगों में कास्ट, पीड़ा एवं दर्दनाक मौत का शिकार होने वाले लगभग 200 जानवरों की जान बचाने जैसा पुण्य काम करता है। सचेत अवस्था में होने के बावजूद मुर्गियों के गले काटे दिये जाते हैं, जिंदा मछलियों को काट दिया जाता है या पानी से बाहर निकाल कर रख दिये जाने उनका दम घुट जाता है, सीने में चुरा घोंपकर सुवरों की हत्या कर दी जाती है वह दर्द में चीखते हैं और जन्म के कुछ ही समय बाद छोटे छोटे बछड़ों को उनकी माताओं से खींचकर अलग कर दिया जाता है। बूचड़खानों में जानवरों को पूरी तरह से सचेत अवस्था में होने के बावजूद उनको एक दूसरे के सामने ही काट दिया जाता है।

वीगन जीवनशैली जीने वाले लोगों को हृदय रोग, मधुमेह और कैंसर से पीड़ित होने की संभावना भी कम होती हैं जो भारत जैसे देश में यह सब आम स्वस्थ्य समस्याएँ हैं। इसके अलावा, पशु कृषि जल प्रदूषण, वनों की कटाई और भूमिक्षरण का एक प्रमुख कारण है, और संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के सबसे बुरे प्रभावों से निपटने के लिए वीगन भोजन को अपनाने हेतु वैश्विक स्तर पर बड़े बदलाव की जरूरत है।

 

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