PETA इंडिया की याचिका पर, दिल्ली उच्च न्यायालय ने “जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड” को बंद सर्कसों में जानवरों की स्थिति पर जानकारी देने के निर्देश दिये

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PETA इंडिया द्वारा दायर एक याचिका के आधार पर, दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक आदेश जारी कर “भारतीय जीव जन्तु कल्याण बोर्ड” (AWBI) को इसके पर्यवेक्षण के तहत आने  वाले सभी 19 सर्कसों में जानवरों की स्थिति पर प्रकाश डालने का निर्देश दिया जिनमें से कुछ को बंद कर दिया गया है और अन्य का पंजीकरण प्रमाणपत्र AWBI द्वारा रद्द कर दिया गया है। कोर्ट ने AWBI को PETA इंडिया द्वारा दायर एक आवेदन पर जवाब देने का भी निर्देश दिया, जिसमें कोर्ट से देश में शेष छह सक्रिय  सर्कसों के खिलाफ कई कानूनों के स्पष्ट उल्लंघन हेतु कानूनी कार्रवाई करने का अनुरोध किया गया था।

AWBI द्वारा पहले स्पष्ट किया गया था कि इन 19 सर्कसों में से पाँच सर्कसों के प्रदर्शनकारी पशु पंजीकरण प्रमाण पत्र रद्द कर दिए गए, संबंधित राज्य सरकारों को बंद होने वाले आठ अन्य सर्कसों से संबंधित दस्तावेज जमा करने का निर्देश दिया गया था और दो के खिलाफ़ कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। PETA इंडिया ने अपने आवेदन के माध्यम से इस सूची के शेष सर्कसों के खिलाफ कार्रवाई का अनुरोध किया।

वर्ष 2020 में, AWBI ने केंद्र सरकार को दूसरी बार सर्कस में जानवरों पर प्रतिबंध लगाने वाला कानून पारित करने की सलाह दी थी। यह सलाह PETA इंडिया द्वारा दायर एक याचिका पर दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेशों के बाद, बोर्ड द्वारा किए गए निरीक्षणों के परिणामस्वरूप दी गई थी। वर्ष 2017 में, AWBI ने केंद्र सरकार को सर्कस उद्योग में निहित क्रूरता, बड़े पैमाने पर होने वाले कानूनी उल्लंघन, और मौजूदा नियामक ढांचे की अव्यवहारिक प्रकृति जैसे कारण देकर सर्कसों में जानवरों के इस्तेमाल को खत्म करने हेतु कानून का कड़ा क्रियान्वयन  सुनिश्चित करने की सलाह दी थी। केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण ने प्रदर्शन के लिए हाथियों का उपयोग करने वाले “ग्रेट गोल्डन सर्कस” नामक अंतिम भारतीय सर्कस की मान्यता को भी रद्द कर दिया था।

वर्ष 2018 में, केंद्र सरकार ने सर्कस में पशुओं के प्रदर्शन या करतब पर प्रतिबंध को प्रस्तावित करते हुए “प्रदर्शनकारी पशु (पंजीकरण) (संशोधन) नियम”, 2018 के मसौदे को अधिसूचित किया था लेकिन इसे अभी तक अंतिम रूप नहीं दिया गया है।

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