PETA इंडिया ने ‘Burger King’ से वीगन बर्गर की मांग की : रवीना टंडन ने मांग का समर्थन किया

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31 May 2021

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मुंबई- कुछ ही समय पहले खबर आयी थी कि ‘बर्गर किंग’ जर्मनी में मांस मुक्त उत्पाद वाला एक नया आउटलेट खोलने जा रहा है इस खबर के प्रकाशन के बाद ‘पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ इंडिया (PETA)’ ने मशहूर वीगन ब्रांड Burger King से भारत में वीगन (पूर्ण रूप से पेड़-पौधों पर आधारित) बर्गर प्रदान करने की अपील की थी जिसे बॉलीवुड की प्रसिद्ध अभिनेत्री रवीना टंडन ने अपने Twitter एकाउंट पर PETA की इस मांग समर्थन किया है।

PETA इंडिया ने Burger King की India यूनिट को Tweet करते हुए लिखा था कि “आपकी कंपनी जर्मनी में पूर्ण मांस-मुक्त आउटलेट खोलने की कोशिश में लगी है तो कंपनी की भारतीय यूनिट भारत में भी वीगन वूफ़र शुरुआत करने पर विचार करे”।

बॉलीवुड अभिनेत्री रवीना टंडन ने PETA की इस मांग के समर्थन में Tweet करते हुए लिखा है- “मुझे भी अच्छा लगेगा बर्गर किंग, सिंगापुर का एक रेस्ट्रॉन्ट केवल प्रयोगशाला में उत्पादित मांस बेचता है जिसके लिए कोई हिंसा और हत्या नहीं करनी पड़ती और केवल एक सेल से खाद्य पदार्थ का उत्पादन किया जाता है।“

PETA इंडिया के डायरेक्टर ऑफ़ सेलिब्रिटी एंड पब्लिक रिलेशन्स सचिन बंगेरा ने कहा, “अगर Burger King जर्मनी में मांस-मुक्त आउटलेट खोल सकता है तो वह भारत में भी वीगन उत्पाद पर विचार कर सकता है और इसकी शुरुआत वीगन Whopper से की जा सकती है। विदेशों की तरह भारत में भी, बड़ी संख्या में लोग पशु कल्याण, पर्यावरण और स्वास्थ्य जोखिमों के मद्देनज़र माँस, डेयरी एवं अंडों का त्यागकर वीगन जीवनशैली अपना रहे हैं।“

हाल ही में PETA इंडिया ने McDonald’s, KFC, और Burger King इंडिया जैसे कंपनियों को पत्र लिखकर भारत में भी अपने मैन्यू में वीगन विकल्प जोड़ने का अनुरोध किया था। वर्ष 2018, में सोनू सूद सहित कई बॉलीवुड हस्तियों ने McDonald’s इंडिया से Twitter पर एक विशेष संदेश साझा कर भारत में वीगन बर्गर का विकल्प उपलब्ध कराने की अपील की थी।

मांस, अंडा और डेयरी उत्पाद बड़े पैमाने पर जानवरों की पीड़ा के लिए जिम्मेदार है। सचेत अवस्था में रहने के दौरान मुर्गियों के गले काट दिये जाते हैं, मछलियों को समुद्र से बाहर निकाल कर मछ्ली पकड़ने वाली नौकाओं के डेक पर फेंक दिया जाता है जहां वह एक एक सांस के लिए संघर्ष करती हैं और दम घुटने से मर जाती हैं,  बछड़ों को जन्म के कुछ समय बाद ही खींचकर उनकी माताओं से दूर कर दिया जाता है।

मांस और जानवरों से मिलने वाले अन्य खाद्य पदार्थों का सेवन मानव स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है। इनका सेवन हृदय रोग, मधुमेह, कैंसर और मोटापे जैसे बीमारियों का एक बड़ा कारण है। इसके साथ ही खाद्य पदार्थों हेतु पशु पालन जल प्रदूषण एवं भूमि अधिग्रहण का कारण भी है और यूनाइटेड नेशंस ‘यूनाइटेड नेशन्स’ की एक रिपोर्ट के अनुसार ‘जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए बड़ी तादात में लोगों का वीगन जीवनशैली अपनाना बहुत ज़रूरी है।‘

ऐसा माना जाता है कि SARS, बर्ड फ्लू, स्वाइन फ्लू, एबोला, HIV और कई अन्य जानलेवा बीमारियों की ही तरह वर्तमान महामारी COVID 19 का जन्म भी जिंदा जानवरों की ऐसी ही मंडियों से हुआ है जहां जानवरों को पाला जाता है, माँस के लिए काटा जाता है या फिर ऐसी जगहों पर रखा जाता जिनका संबंध माँस से होता है। यहीं से पनप कर यह बीमारियाँ जानवरों से इन्सानों में हस्तांतरित हुई हैं।

PETA इंडिया जो इस सिद्धांत के तहत काम करता है कि “जानवर हमारा भोजन बनने के लिए नही हैं” प्रजातिवाद का विरोध करता है क्यूंकी यह एक ऐसी धारणा है जिसके तहत इंसान इस दुनिया में स्वयं को सर्व शक्ति मानकर दूसरी अन्य प्रजातियों का शोषण करना अपना अधिकार समझता है। अधिक जानकारी के लिए कृपया हमारी वेबसाईट PETAIndia.com पर जाएँ एवं हमें TwitterFacebook, और Instagram. पर फॉलो करें।

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