PETA इंडिया एवं उत्तर प्रदेश वन विभाग ने, माँ की मौत से दुखी बंदर के अनाथ बच्चे को सहारा दिया।

तत्काल प्रकाशन हेतु:

20 July 2020

संपर्क:

Hiraj Laljani- [email protected]

Sachin Bangera – [email protected]

एक कार से टकरा कर इस बच्चे की माँ की मृत्यु हो जाने के बाद अकेले रह गए बंदर के इस नन्हें बच्चे का रेसक्यू किया गया।

फरुक्खाबाद- एक स्थानीय निवासी द्वारा की गयी फोन कॉल पर तत्काल कार्यवाही करते हुए पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया ने उत्तर प्रदेश वन विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर बंदर के उस नन्हें बच्चे का रेसक्यू किया जो अपनी घायल पड़ी माँ के पास गुमसुम बैठा था। किसी कार से टकरा कर उसकी माँ बुरी तरह चोटिल हो गयी थी व घटना स्थल के पास बेसुध गिरि पड़ी थी। तत्काल चिकित्सीय देखभाल प्रदान करने के बाद भी वह बच नहीं सकी और उसकी मृत्यु हो गयी।

उत्तर प्रदेश वन विभाग की मदद से PETA इंडिया द्वारा बचाए गए नन्हें बंदर को चिकित्सीय मदद एवं उचित देखभाल के लिए आगरा स्थित एक प्रतिष्ठित वाइल्डलाइफ रेसक्यू सेंटर में भर्ती करवाया है जिसे पूरी तरह से ठीक हो जाने के बाद वापिस उसके प्रकर्तिक निवास यानि जंगल में छोड़ दिया जाएगा। भारत में ‘रिसस मकाक’ प्रजाति के बंदर “वन्यजीव संरक्षक कानून 1972” के शेड्यूल 2 के तहत संरक्षित प्रजाति के अंदर आते हैं।

नन्हें बंदर के फोटो यहाँ से डाउनलोड किए जा सकते हैं।

PETA इंडिया के एमरजेंसी रेस्पोंस असिस्टेंट कुंबन अयर कहते हैं – “सबसे महत्वपूर्ण यह है की यह प्यारे एवं सामाजिक जानवर (बंदर) मदारी के कहने पर नाचने या प्रयोगशालाओं में उन पर क्रूर प्रयोग किए जाने की बजाय वापिस जंगल में अपने परिवार एवं दोस्तों के साथ मिलकर रहें। PETA इंडिया सभी से यह अनुरोध करता है की हमेशा सचेत रहें व जब भी किसी पशु पर क्रूरता होते देखें, उसे चिकित्सीय मदद की जरूरता हो, या कभी वन्यजीवों का अवैध व्यापार होते देखें तो तत्काल रूप से संबन्धित सरकारी विभाग को इसकी सूचना दें जैसे पुलिस या वन विभाग”।

PETA इंडिया जो इस सिद्धांत के तहत काम करता है कि “जानवर हमारे मनोरंजन के लिए नहीं हैं”, यह संज्ञान लेता है कि अपने फायदे के लिए बंदरों का शोषण करना या पालतू पशु की रूप में उन्हें कैद करके रखना, सामान्यता गलत है व ऐसा करने वालों पर वन्यजीव संरक्षण कानून 1972 के तहत 10,000 रुपये जुर्माने तथा सात साल की सज़ा का प्रावधान है।

पशुओं के साथ क्रूरता होते देखें या पशु आपातकालीन स्थिति हो तो हमें तत्काल हमारे एमरजेंसी नंबर (0) 98201 22602 पर कॉल करके सूचित करें।

अधिक जानकारी के लिए कृपया हमारी वेबसाईट PETAIndia.com पर जाएँ

#