“World Day for the End of Speciesism” से पहले अमृतसर में एक कुत्ते को जलती आग पर भूनने का डेमो प्रदर्शन

For Immediate Release:

25 August 2022

Contact:

Hiraj Laljani; [email protected]

Sanskriti Bansore; [email protected] 

इस डेमो प्रदर्शन के द्वारा PETA इंडिया मांसाहारियों को मांस त्याग करने का संदेश दे रहा है

अमृतसर – शुक्रवार को, World Day for the End of Speciesism (प्रजातिवाद के अंत हेतु वैश्विक दिवस – 27 अगस्त), से ठीक पहले पीपुल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया और आश्रय चैरिटेबल ट्रस्ट के समर्थकों द्वारा अमृतसर में प्रतिकात्मक ढंग से एक कुत्ते को भूनकर दिखाने का डेमो प्रदर्शन करेंगे और इसके माध्यम से यह संदेश दिया जाएगा कि सभी जानवर मांस, खून और हड्डी से बने होते हैं और यह सब भी इंसानों की तरह दर्द एवं अन्य भावनाओं का एहसास कर सकते हैं। साथ ही, जानवरों के मांस का सेवन करने का अर्थ है ऐसे संवेदनशील प्राणियों के मृत शरीरों को खाना जो अपना जीवन को महत्व देते हैं और इस कुत्ते की तरह महज़ किसी के भोजन के लिए मरना नहीं चाहते।

समय        : शुक्रवार, 26 अगस्त, ठीक 12 बजे

स्थान        : VR अंबरसर मॉल के बाहर, प्लॉट नंबर C, निरंकारी कॉलोनी के साथ में, 4, सर्कुलर रोड, निरंकारी कॉलोनी, अमृतसर, पंजाब 143001

PETA इंडिया की कैंपेन मैनेजर राधिका सूर्यवंशी ने कहा, “मुर्गियों, बकरियों और मछलियों को भी कुत्तों की तरह दर्द और डर का एहसास होता है इसलिए PETA इंडिया सभी से अनुरोध करता है कि अगर आपको कुत्ते को खाने का विचार अच्छा नहीं लग रहा हैं तो आपको सभी प्रकार के जानवरों को त्याग करना चाहिए।“

प्रत्येक व्यक्ति जो वीगन जीवनशैली अपनाता है वह प्रतिवर्ष मांस अंडा और डेयरी उद्योगो में कष्ठ, पीड़ा एवं दर्दनाक मौत का शिकार होने वाले लगभग 200 जानवरों की जान बचाने जैसा पुण्य काम करता है। सचेत अवस्था में होने के बावजूद मुर्गियों के गले काटे दिये जाते हैं, जिंदा मछलियों को काट दिया जाता है या पानी से बाहर निकाल कर रख दिये जाने उनका दम घुट जाता है, सीने में चुरा घोंपकर सुवरों की हत्या कर दी जाती है वह दर्द में चीखते हैं और जन्म के कुछ ही समय बाद छोटे छोटे बछड़ों को उनकी माताओं से खींचकर अलग कर दिया जाता है। बूचड़खानों में जानवरों को पूरी तरह से सचेत अवस्था में होने के बावजूद उनको एक दूसरे के सामने ही काट दिया जाता है।

वीगन जीवनशैली जीने वाले लोगों को हृदय रोग, मधुमेह और कैंसर से पीड़ित होने की संभावना भी कम होती हैं जो भारत जैसे देश में यह सब आम स्वस्थ्य समस्याएँ हैं। इसके अलावा, पशु कृषि जल प्रदूषण, वनों की कटाई और भूमिक्षरण का एक प्रमुख कारण है, और संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के सबसे बुरे प्रभावों से निपटने के लिए वीगन भोजन को अपनाने हेतु वैश्विक स्तर पर बड़े बदलाव की जरूरत है।

PETA इंडिया जो इस सिद्धांत के तहत काम करता है कि “जानवर हमारा भोजन बनने के लिए नहीं, प्रजातिवाद का विरोध करता है क्यूंकी यह एक ऐसी धारणा है जिसके इंसान इस दुनिया में स्वयं को सर्वशक्ति मानकर दूसरी अन्य प्रजातियों का शोषण करना अपना अधिकार समझता है। अधिक जानकारी के लिए कृपया वेबसाईट PETAIndia.com पर जाएँ एवं हमें TwitterFacebook, और Instagram पर फॉलो करें।

#