पंजाब विधानसभा द्वारा राज्य में बैलगाड़ी दौड़ को कानूनी मान्यता प्रदान किए जाने पर PETA इंडिया का ब्यान

पंजाब विधानसभा द्वारा राज्य में बैलगाड़ी दौड़ की अनुमति वाला कानून पारित करने के लिए, पशु विशेषज्ञ तथा 2 दशकों से जानवरों के लिए कार्य करने के अनुभवी, PETA इंडिया के सीईओ डॉ. मणिलाल वलियाते की प्रतिक्रिया :-

“जानबूझकर बैलों को प्रताड़ित करने वाला जल्लीकट्टू हो या कष्ट पहुँचाने वाली बैलगाड़ी दौड़ हो, जानवरों के प्रति किसी भी प्रकार की क्रूरता को सही ठहराने का यह एक रिवाज सा बन गया है की ‘परंपरा’ का नाम देकर लोग इस हैवानियत को नजरन्दाज़ कर देते है। भारत लंबे समय से पशुओं से प्यार करने वाले देश के रूप में जाना जाता है। जहां पूरे विश्व में जानवरों के प्रति होने वाली क्रूरता को समाप्त करने के लिए बुल-फाइटिंग पर प्रतिबंध, सर्कस में जानवरों के इस्तेमाल पर रोक व अन्य पशु आधारित गतिविधियों पर रोक लगाने वाले कानून पारित किए जा रहे हैं वहीं पंजाब ने एक कदम पीछे जाते हुए सिर्फ कुछ लोगों के मनोरंजन की खातिर राज्य में बैलगाड़ी दौड़ की अनुमति प्रदान कर दी। PETA इंडिया पंजाब विधानसभा के इस कदम को अदालत में चुनौती देगा।“

PETA इंडिया ने इससे पहले कर्नाटक, महाराष्ट्र व तमिलनाडू राज्य द्वारा इसी प्रकार के जल्लीकट्टू, कम्बाला व बैलगाड़ी दौड़ के लिए पारित किए गए क़ानूनों को अदालत में चुनौती दी है जिस पर 5 जजो की बेंच शीघ्र ही सुनवाई करने वाली है।

PETA इंडिया ने बैलगाड़ी दौड़ों की बहुत सी जांचों के दौरान पाया है कि दौड़ के दौरान बैलों पर अत्यधिक अत्याचार किया गया, दौड़ के दौरान उन्हे लगातार मारा गया जिससे उनके जख्म बन गए। तप्ति धूप में तेज दौड़ने के लिए बाध्य करने हेतु बैलों को डंडों से पीटा गया, नुकीली छड़े चुभोई गयी, पुंछ को काटा व मरोड़ा गया, अनेकों यतनाए दी जाती है जिससे उन्हे बेहद शारीरिक कष्ट पहुंचा व खून भी आया। इन यातनाओं के चलते बहुत से बैल बेसुध होकर गिर गए व बाड़ से टकरा कर घायल हो गए। जो बैल रेस जीतने के बिन्दु तक पहुंचे उनके मुह से झाग निकाल रहा था व उनकी धड़कन तेज़ चल रही थी जिससे यह साबित होता है कि उनका शरीर इस प्रकार के खेल या दौड़ के लिए नहीं बना है और कोई भी कानून इस सत्य को बदल नहीं सकता।

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