जानवरों के प्रति दयालु रहना इस्लामिक है

“जो कोई अल्लाह के बनाए प्राणियों पर दया करता है, वह अपने आप पर दया करता है।” – पैगंबर मुहम्मद (स.अ.व.), ‘बुखारी और मुस्लिम संग्रह’ में अब्दुल्ला बिन अमरू द्वारा वर्णित किया गया

इस्लाम शांति, गरिमा, सम्मान, सहिष्णुता, न्याय और दया को बढ़ावा देता है। सभी पवित्र इस्लामिक ग्रंथ पशुओं को अल्लाह की रचना का महत्वपूर्ण हिस्सा मानते हैं, और पैगंबर मोहम्मद (स.अ.व.) की जानवरों के प्रति संवेदनशीलता सम्पूर्ण हदीस और सुन्नत में स्पष्ट है। उदाहरण के लिए, पैगंबर मोहम्मद (स.अ.व.) ने जानवरों के साथ दुर्व्यवहार करने वालों की ताज़ीर की और उन पर रहम करने वालों की प्रशंसा की। उन्होंने जानवरों की पिटाई और उन पर मुहर अंकित करने को भी निषेध किया।

एक हदीस में पैगंबर मुहम्मद (स.अ.व.) द्वारा रिवायत है।

“एक जानवर के साथ किया गया अच्छा काम उतना ही नेक आमाल है जितना कि किसी इंसान के साथ किया गया, जबकि किसी जानवर के साथ की गयी बदसलूकी उतनी ही बुरी है जितनी कि किसी इंसान के साथ की गई।”

आप वीगन अभिनेत्री सदा सैयद से प्रेरणा ले सकते हैं

कई बच्चों की तरह, जब सदा सैयद  भी कम उम्र की थी तो कुर्बानी के लिए बकरे का कत्ल होते देखकर वह भी बहुत आहत हुई, और तभी से उन्होंने मांस का त्याग करने का फैसला किया। इस्लाम में जानवरों को मारना या खाना अनिवार्य नहीं है, और उन्होंने महसूस किया कि किसी भी प्रजाति के जानवर को उसके मांस, अंडे या दूध हेतु शोषित करना या उनकी हत्या करना बहुत गलत हैं। इसलिए सदा ने वीगन जीवनशैली अपना ली और अब उनके परिवार की ईद 100% क्रूरता मुक्त होती है। सदा सैयद मुंबई के अंधेरी वेस्ट में Earthlings नामक एक वीगन कैफे भी चलाती हैं और वर्ष 2020 में, ईद के अवसर पर सदा और PETA इंडिया ने मुंबई में Children’s Aid Society द्वारा संचालित सात अनाथालयों में 750 बच्चों को प्रोटीन और कैल्शियम युक्त सोया चंक्स के बनी शाकाहारी बिरयानी दान की थी

देवनार बूचड़खाने को न भूलें

शरीयत (इस्लामी क़ानून) के अनुसार, किसी भी जानवर की कुर्बानी देने से पहले यह सुनिश्चित करना अनिवार्य है कि जानवरों को कम से कम दर्द हो लेकिन मुंबई स्थित देवनार (यहाँ ईद से पहले जानवरों को कुर्बानी के लिए बेचा जाता है) संबंधी PETA इंडिया की जांच में यहाँ होने वाली भयानक क्रूरता का खुलासा हुआ। इस जांच में सामने आया कि मृत भैंसों के शवों बुलडोजर से हटाया गया और यहाँ भैंस, बकरियों और भेड़ों की लाशों वाला एक ढेर भी मिला।

Appalling Cruelty at Mumbai’s Deonar Slaughterhouse from officialPETAIndia on Vimeo.

पशु कुर्बानी से संबंधित क़ानून

पशु कुर्बानी की प्रथा के चलते शोषण और हत्या को सामाजिक स्वीकृति मिलने के कारण बच्चों को पशुओं के खिलाफ़ की जाने वाली क्रूरता के खिलाफ़ संवेदनशील बनाने में अधिक कठिनाई होती है। इसके लिए जानवरों का जिस क्रूर तरीके से पालन-पोषण किया जाता है, उनका परिवहन किया जाता है और उनकी हत्या की जाती है वह निश्चित तौर पर पशु परिवहन और वध कानूनों के तहत मांस हेतु जानवरों को मारने के वैध मानकों का उल्लंघन होता है फिर भी पशु क्रूरता निवारण (पीसीए) अधिनियम, 1960 की धारा 28 के तहत भी जानवर को धर्म के आधार पर हर तरीके से मारने की अनुमति दी जाती है।

यहां कार्रवाई करके “पशु क्रूरता निवारण अधिनियम” 1960 की धारा 28 को हटाने की मांग करें।

प्रतीकात्मक कुर्बानी का अर्थ है अधिक नेकी कमाना

“किसी भी जीवित प्राणी की मदद करने के लिए एक इनाम (अज्र) है।”

– हदीस: बुखारी और मुस्लिम

बकरीद पर जानवरों को आहात न करने और कुर्बानी भी देने के कई अन्य तरीके हैं। महान दिवंगत अभिनेता श्री इरफान खान ने एक बार कहा था, “कुर्बानी का सही अर्थ किसी भी खरीदी हुई बकरी या भेड़ के बजाय कुछ ऐसा बलिदान करना है जो आपको बहुत प्रिय हो।”

क्रूरता मुक्त ईद से शांति और करुणा को बढ़ावा मिलता है। जानवरों की जान लेने के बजाय, गरीबों को वीगन भोजन बांटे, किसी अनाथालय में कपड़े या खिलौने दान करें, ज़रूरतमंदों के लिए पैसे दान करें, किसी पशु आश्रय में अपनी मुफ़्त सेवा दें, या अपने क्षेत्र के सामुदायिक जानवरों के लिए साफ पानी के कटोरे रखें।

 

सभी दोस्तों को जानवरों की हत्या न करने वाली ईद मुबारक!