PETA इंडिया ने एनिमेट्रोनिक हथिनी का स्वागत किया

ऐली अंग्रेजी और हिंदी में उपलब्ध अपनी तरह की पहली दयालुता-निर्माण पहल है। यह एशिया की पहली शैक्षिक एनिमेट्रोनिक हथिनी है, और यह भारत भर के स्कूलों का दौरा करके सभी स्कूली छात्रों को दयालुता का पाठ पढ़ाएगी। इसे मुंबई के जमनाबाई नरसी इंटरनेशनल स्कूल में लॉन्च किया गया है। हाथियों को बहुत ही कम उम्र में जबरन अपने माताओं से अलग कर दिया जाता है और उन्हें क्रूर सर्कसों में विभिन्न प्रकार के शारीरिक शोषण का सामना करना पड़ता है।

ऐली को मशहूर अभिनेत्री और PETA इंडिया की समर्थक दीया मिर्जा द्वारा अपनी आवाज दी गई और यह सभी छात्रों को असली हाथियों की कहानी से अवगत कराती है जिन्हें बहुत ही कम उम्र में जबरन अपने माताओं से अलग कर दिया जाता है और उन्हें क्रूर सर्कसों में विभिन्न प्रकार के शारीरिक शोषण का सामना करना पड़ता है। इस हथिनी द्वारा बिल्कुल किसी असली हाथी की तरह अपनी आंखे झपकाकर बच्चों को उत्साहित किया जाता हैं और अपने कानों को बहुत ही प्यारी तरह से फड़फड़ाया जाता है। ऐली को बहुत चोटी उम्र में अपनी माँ से अलग करके सर्कसों में करतब करने के लिए बाध्य किया गया था लेकिन उसकी “व्यक्तिगत” कहानी का अंत बेहद सुखद है क्योंकि उसे रेसक्यू करके एक सेंचुरी में भेजा गया जहाँ वह अपना जीवन शांतिपूर्ण ढंग से व्यतीत कर रही है।

 

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UN सेक्रेटरी-जनरल ऐडवोकट फॉर द सस्टेनेबल डेव्लपमेंट गोल्स और UN एनवायरनमेंट प्रोग्राम गुडविल एंबेसडर के रूप में किए गए अपने बेहतरीन कामों के लिए  लोकप्रिय अभिनेत्री दीया मिर्ज़ा ने कहा, “हाथी बुद्धिमान, सामाजिक और भावनात्मक जानवर होते हैं जिनका प्रकृति से गहरा संबंध हैं और उन्हें जंजीरों में कैद करके मारना-पीटना पूरी तरह से गलत है। मुझे PETA इंडिया के साथ काम करके और ऐली को अपनी आवाज़ देकर बहुत खुशी है जिसके द्वारा हम सभी बच्चों को सिखाएंगे कि हथियों के प्रति दयालुता दिखाने का सही अर्थ उन्हें प्रकृति के बीच आज़ाद रहने देना है।”

उन्होंने आगे कहा, “मेरे लिए एक माँ के रूप में ऐसे दयालु अभियानों का समर्थन करना बहुत ज़रूरी है क्योंकि इनके द्वारा बच्चों और प्रकृति के बीच एक सकारात्मक संबंध बनाने में मदद मिलेगी। मैं ऐली के माध्यम से हमारे बच्चों और इस ग्रह के अनमोल बंधन को और मजबूत करने की उम्मीद करती हूँ।”

 

हाथियों को जंजीरों में कैद करना गलत है

अक्सर, महज़ 2 वर्ष की उम्र के छोटे हाथियों को उनकी माताओं से छीनकर, रस्सियों व भारी जंजीरों की मदद से पेड़ो के साथ बांधा जाता है जिससे उनके पैरों में ज़ख्म बन जाते है या फिर ‘क्राल’ नामक लकड़ी के पिंजरों में बंदी बनाकर रखा जाता है। इसके बाद इन हाथियों के साथ बर्बरता का दौर शुरू होता है जब प्रशिक्षक इन बंदी हाथियों को तब तक नियमित रूप से नुकीले हथियार व अंकुशों से यातनाएं देते रहते हैं जब तक कि उनके अंदर विरोध करने व लड़ने का साहस समाप्त नहीं हो जाता।

हाथियों को अक्सर मार-पीट के द्वारा नियंत्रित किया जाता है, उन्हें अक्सर पशु चिकित्सा देखभाल या पर्याप्त पोषण से वंचित रखा जाता है। कई कई घंटों तक जंजीर में जकड़े रहने से इन हाथियों के पैर में दर्द होता है और घाव बन जाते हैं। वह आमतौर पर गंभीर मनोवैज्ञानिक संकट से भए एपीड़ित रहते हैं और उसके लक्षण साफ दिखाई देते हैं जैसे सिर को गोल गोल हिलना, सिर पटकना, या फिर सिर को आगे पीछे की स्थिति में हिलाते रहना जबकि प्रकृतिक महोल में रहने वाले हाथियों में इस तरह का व्यवहार देखने को नहीं मिलता।

 

सजीव प्राणी की तरह व्यवहार

ऐली सभी बच्चों को समझाती है कि हाथियों में भी इंसानों की तरह ही भावनाएं और संवेदनशीलता होती हैं। वह बोलती है, “हम चाहे दिखने में एक जैसे न लगे लेकिन हमारे अंदर बहुत कुछ एक जैसा है।“

हाथी तैरना पसंद करते हैं। उन्हें चलना भी बहुत पसंद हैं एवं उनकी याद रखने की शक्ति बहुत अच्छी होती है। जिस तरह इंसान के बच्चे कभी-कभी अपना अंगूठा चूसते हैं, उसी तरह हाथी के बच्चे भी अपनी सूंड चूसते हैं। हाथी खुश या उदास, डरा हुआ या ईर्ष्या महसूस कर सकते है। वे अपने परिवारों से प्यार करते हैं। प्रकृति में, मादा हाथी जीवन भर अपनी मां के साथ रहती हैं।

और इंसानों की तरह, हाथियों को भी उनके प्राकृतिक वातावरण में आज़ादी से रहने का पूरा हक़ है।

क्या आप ऐली को अपने स्कूल बुलाना चाहते हैं?

पूरे अमेरिका में हजारों बच्चे, शिक्षक और अभिभावक पहले ही PETA US के एनिमेट्रोनिक हाथी, ऐली और उसके मोहक शब्दों से प्रेरित हो चुके हैं। इसे आप अपने स्कूल में भी आमंत्रित कर सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए कृपया हमें [email protected] पर मेल करें, और PETA इंडिया के “दयालु नागरिक” नामक निःशुल्क मानवीय शिक्षा कार्यक्रम को देखें।