नवंबर 2021 से मई 2022 के 7 माह के दौरान, PETA एशिया के जांचकर्ताओं ने वियतनाम के दर्जनों बत्तख फार्मों और बूचड़खानों का दौरा किया जो ‘रिस्पोंसिबल डाउन स्टैंडर्ड” मानकों के तहत मांसाहार की बिक्री करते हैं और हमारी टीम ने बत्तखों के प्रति होने वाली बेरहम क्रूरता का पर्दाफाश किया।

इस जांच में खुलासा हुआ कि मानक प्रक्रिया मुहर लगाकर क्रूरता मुक्त उत्पाद का दावा करने वाले ब्राण्ड्स भी नैतिक और मानवीय तरीकों का पालन नहीं करते।

आप स्वयं हमारे द्वारा इकट्ठा की गयी फुटेज देखें और बत्तखों के हित में कार्यवाही करने हेतु कंपनियों से इनके इस्तेमाल पर रोक लगाने का अनुरोध करें।

 

बत्तखों को फार्मों पर क़ैद करके रखा जाता है

PETA एशिया के जांचकर्ताओं द्वारा जिन फार्मों का दौरा किया गया, वहां बत्तखों को गंदे शेडों में अत्यधिक संख्या में ठूस ठूस कर रखा गया था और उन्हें तार से बने पिंजरों या मल -मूत्र से भरी गंदगी में रहने के लिए मजबूर किया गया था। इन सभी बत्तखों को उन सभी चीजों से वंचित कर दिया गया जो इनके लिए प्राकृतिक रूप से महत्वपूर्ण हैं जैसे पानी में नहाना, तैरना, उड़ना, या चारा खाना। इनमें से कुछ जीव हांफ रहे थे, जो अक्सर तनाव, अधिक गर्मी या श्वसन संक्रमण का संकेत होता है और ज़्यादातर जानवर खूनी घावों से पीड़ित थे। इनमें से कई बत्तखों को गंभीर संक्रमण या फ्रैक्चर के परिणामस्वरूप चलने में कठिनाई हो रही थी या वे खड़े होने में बिल्कुल असमर्थ थी। इनमें से एक कर्मी ने एक बत्तख को गले से पकड़कर उसे एक तरफ फेंक दिया। जिन जीवों की हालत गंभीर थी उन्हें एक तरफ तड़प-तड़पकर मरने के लिए छोड़ दिया गया और मरे हुए जानवरों के मृत शरीर को उठाया तक नहीं गया।

 

 

पक्षियों के ज़िंदा रहते उनके गर्दन पर छुरा घोंपा जाता है

बतखों वाले बूचड़खाने के अंदर जांचकर्ताओं ने देखा कि श्रमिक बत्तखों को बड़े हिंसक रूप से पकड़कर उन्हें रसशियों से उल्टा लटका रहे हैं। श्रमिक इन बत्तखों को इतनी कसकर पकड़ रहे थे कि वह हिलडुल ना सके और वो इन्हें आसानी से रस्सी से बांध लें। इन पकड़े गए पक्षियों को बेहोश करने की बजाए उन पर पानी की तेज़ धार मारी जाती है ताकि पानी के प्रवाह से वह शारीरिक रूप से चोटिल होकर गिर जाए। इसके बाद एक श्रमिक द्वारा इन जिंदा पक्षियों के गले में चाकू घोंप कर उन्हें खून से लहूलुहान करके उल्टा लटका दिया गया लेकिन इसके बावजूद कई पक्षी लगभग एक मिनट बाद तक सचेत अवस्था में थे और उनका शरीर हिल रहा था।

जिंदा पक्षियों को ख़रीदकर मौत के घाट उतारा गया

यहाँ के आसपास के गावों में घरों के अंदर भी लोग इसी तरह बत्तखों को मौत के घाट उतार देते हैं और उनके पंख दलालों को बेच देते हैं। श्रमिकों द्वारा इन पक्षियों के पैरों को आपस में बांधने, उन्हें उल्टा लटकाने, उनकी गर्दन पर वार करने, उन्हें जमीन पर फेंकने और उनके पैरों को काटने से पहले उन्हें किसी भी तरह की बेहोशी की दवा नहीं दी गयी। जांचकर्ताओं ने देखा कि पक्षियों को मारे जाने की इस प्रक्रिया के दौरान किसी भी श्रमिक द्वारा यह जांच नहीं की गयी कि वह पक्षी बेहोश हुआ है या नहीं जबकि उनके मरने की इस पूरी प्रक्रिया के दौरान वह सभी सचेत अवस्था में थे और अपने साथ होने वाली क्रूरता का एहसास कर रहे थे।

इन पक्षियों का जीवन केवल पीड़ा है

“Responsible Down Standard” (RDS) का दावा है कि, “यह सुनिश्चित करना अनिवार्य है कि कोई भी पंख ऐसे सप्लायर्स से ना लिया जाए जिनहोने इसे प्राप्त करने के लिए जानवर को अनावश्यक पीड़ा पहुंचाई हो”। लेकिन PETA एशिया के जांचकर्ताओं द्वारा जिन भी फार्मों का दौरा किया गया वह सभी RDS-प्रमाणित सप्लायर्स को बिक्री करते हैं और इन सभी फार्मों में पक्षियों के साथ गहन क्रूरता जारी है।

एक बूचड़खाने के मालिक द्वारा पुष्टि की गयी कि उसका व्यवसाय RDS-प्रमाणित है, और यह स्वीकार किया कि वार्षिक ऑडिट की अनिवार्यतः के बावजूद वास्तव में इसका दो साल में एक बार ऑडिट किया जाता है। उन्होंने बताया कि यहाँ के कर्मचारी बत्तखों के गले में छुरा घोंपने और उन्हें मारने से पहले कभी भी उनके सचेत अवस्था में होने की जाँच नहीं करते हैं।

बत्तख सजीव पशु होते हैं न कि उत्पादन करने वाली मशीने

अपने प्राकृतिक परिवेश में बत्तख सामाजिक और खुशहाल जीव होते हैं जिन्हें अपने परिवार और दोस्तों के साथ “पैडलिंग” करने में सबसे ज़्यादा खुशी मिलती है। वह समूह में रहते हैं और एक साथ तैरते और उड़ते हैं और यहां तक ​​कि उनकी अपनी एक अलग बोली भी है। ये पक्षी मनुष्यों की तरह ही भय और दर्द को महसूस करते हैं और पीड़ा से मुक्त जीवन जीने की इच्छा रखते हैं। मनुष्यों की जगह उन्हें अपने पंखों की जरूरत है।

'मानवीय’ लेबलिंग के साथ भी क्रूरता की कहानी ज़ारी है

PETA संस्थाओं द्वारा जारी इस उद्योग पर की गयी यह आठवीं जांच है हर जांच में इस घोर क्रूरता का पर्दाफाश किया गया है।

“Responsible Down Standard” RDS के अनुसार, “पक्षियों को होश में आने से पहले ही मार दिया जाना चाहिए”, लेकिन जांचकर्ताओं ने देखा कि पक्षियों को बिना कोई दर्दनिवारक दवा दिये उन्हें बेरहमी से मौत के घाट उतारा जा रहा था और उनके अंगो को उनके शरीर से काट कर अलग कर दिये जाने के दौरान वह सचेत अवस्था में अपने साथ हो रही बर्बरता को महसूस कर रहे थे।

PETA संस्थाओं द्वारा जारी इस उद्योग पर की गयी यह आठवीं जांच है हर जांच में इस घोर क्रूरता का पर्दाफाश किया गया है।

“Responsible Down Standard” RDS के अनुसार, “पक्षियों को होश में आने से पहले ही मार दिया जाना चाहिए”, लेकिन जांचकर्ताओं ने देखा कि पक्षियों को बिना कोई दर्दनिवारक दवा दिये उन्हें बेरहमी से मौत के घाट उतारा जा रहा था और उनके अंगो को उनके शरीर से काट कर अलग कर दिये जाने के दौरान वह सचेत अवस्था में अपने साथ हो रही बर्बरता को महसूस कर रहे थे।

PETA एशिया द्वारा की गयी इस जांच में पाया गया कि RDS-प्रमाणित सलप्लायर्स की सूची में GAP Inc, Guess, और H&M जैसी कंपनियां शामिल हैं और ये सभी कंपनियां वियतनाम से पंख प्राप्त करती हैं।

 

कृपया नीचे दिए गए फॉर्म का उपयोग करके इन कंपनियों से आग्रह करें कि वे बिना किसी देरी के डाउन फेदर के उपयोग को समाप्त करके बत्तखों को जीवन भर की पीड़ा और हिंसक मौत से बचाएं।

 

बतखों के लिए अभी कार्यवाही करें 

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  • Helena Helmersson
  • Carlos Alberini
  • Katrina O’Connell
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