ई-रिक्शा पशुओं को काम से मुक्त कर रहा है

दिल्ली में लगभग 400 जानवरों को बाज़ारो में रोज़ लंबे समय तक समान ढोने के लिए मजबूर किया जाता है। उन्हें यहां की कारों, मोटरसाइकिलों, टैक्सियों एवं बसों से भरी सड़कों में, बिना भोजन या पानी के भीषण गर्मी में चलने के लिए मजबूर किया जाता है। अपने परिवार का पेट पालने के लिए मजबूर गाड़ी मालिक किसी जानवर के बीमार हो जाने पर या सड़क दुर्घटनाओं में घायल हो जाने पर भी उन्हें भारी गाड़ियां खींचने के लिए मजबूर करते है, और उन पर नाक की रस्सियों और काँटेदार लगाम का उपयोग करते है। जानवरों को होने वाली पीड़ादायीं शारीरिक रोगों, जैसे कैंसर, गंभीर घाव, मांसपेशियों की विभिन्न बीमारिया, फोड़े और पित्ताशय की पथरी के दौरान पशु चिकित्सकों की सलाह नहीं मिलती है ―  एक प्रकार से, इन जानवरों से उनकी मृत्यु तक निरंतर केवल कठोर काम कराया जाता है।

 

ई-रिक्शा खरीदने हेतु सक्षम होने पर गाड़ी-मालिक जानवरों की अंतहीन पीड़ा समाप्त कर सकते हैं और उन्हें मुक्त कर सकते हैं। अब तक, PETA इंडिया ने 29 बैलगाड़ियों और 12 घोड़ों की जगह ई-रिक्शा लगवा दिए हैं और इन मुक्त जानवरों को दिल्ली के बाहर एक अभ्यारण्य में भेज दिया है जहां वे पशु चिकित्सकों की निगरानी के साथ, 24/7 देखभाल मे हैं। उन्हें अब कभी शहर की भीड़-भाड़ वाली सड़कों पर भारी गाड़ियां को खींचने के खतरे व भय को नहीं सहना पड़ेगा। इसके बजाय, वे प्रकृति के साथ, व आपस मे शांतिपूर्वक रहकर अपना बाकी जीवन व्यतीत करेंगे।

 

आजीविका और सुरक्षा में सुधार

जानवरो द्वारा खींची जाने वाली गाड़िया क्रूर तो हैं हीं, वे आज के ज़माने में प्रासंगिक भी नहीं है। जिन परिवारों ने “दिल्ली मशीनीकरण योजना” में भाग लिया और लाभान्वित हुए, उन्होंने बताया कि ई-रिक्शा का उपयोग करने से उनकी कमाई में व्यापक वृद्धि हुई है और उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति मे सुधार आया है। जानवरों के बजाय ई-रिक्शा का प्रयोग करने से पहले इन गाड़ी मालिकों की कमाई बीच-बीच में रुकने का खतरा भी समाप्त हो गया है, जो तब होता है जब जानवर शारीरिक रूप से काम करने मे असमर्थ हो जाते हैं। ऐसा होने के कारणों में संक्रामक रोग भी शामिल हैं, जैसे कि ग्लैंडर्स ― यह जानवरों से मनुष्यों मे संक्रमित होने वाला एक घातक रोग है और दिल्ली में बहुत आम हैं। ई-रिक्शा के प्रयोग से चालकों के व्यावसायिक अवसरों मे भी वृद्धि होती है क्योंकि जानवर द्वारा खींची जाने वाली गाड़ी की तुलना, में इस प्रकार की सवारी के प्रयोग के अवसर ज़्यादा होते हैं; ई-रिक्शा को दिल्ली के अधिकांश हिस्से में, जिन्हें अर्द्धशहरी क्षेत्र माना जाता है, यातायात का एक महत्वपूर्ण साधन माना जाता है।

ऐसे परिवारों को यह संतोष भी रहता है कि ई-रिक्शा सुरक्षित, आधुनिक एवं क्रूरता-मुक्त होने के साथ ही पूरी दिल्ली के शहरी परिवेश में ढुलाई व सवारी का एक प्रदूषण-मुक्त ज़रिया, व कमाई का एक व्यापक एवं स्थायी साधन है।

delhi mechanisation

दिल्ली की सड़कों व गलियों को जानवर-मुक्त करना सभी के लिए लाभदायी है। ई-रिक्शा चालक अपने व्यवसाय का विस्तार कर सकते हैं और परिवहन के अन्य माध्यमों से प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं। इसके साथ ही जानवरों एवं वाहनों के बीच यातायात दुर्घटनाओं का खतरा भी समाप्त हो जाता है।

 

परियोजना की सफलता पर स्वयं एक नज़र डालें!

स्थानीय सरकार व ई-रिक्शा निर्माताओं के समर्थन के साथ PETA इंडिया “दिल्ली मशीनीकरण योजना” के निरंतर विस्तार की उम्मीद करता है, ताकि दिल्ली में जानवरों द्वारा खींची जाने गाड़ियों का प्रयोग  जल्द से जल्द ख़त्म हो जाये।

इस योजना से जानवरों और परिवारों को जो खुशी मिलती है वह अनमोल है, देखना चाहेंगे? इस परियोजना के अंदर व बाहर की सारी जानकारी के लिए नीचे दी गयी इस शॉर्ट मूवी को देखें-