बैलों के प्रति बेतहाशा क्रूरता

जांचकर्ताओं ने बैलों के साथ हो रही क्रूरता के के कई रूपों के फोटो और वीडियो के माध्यम से रेकॉर्ड किया। प्रतिभागियों ने बैलों की नाक में रस्सियों को बांधकर उन्हें दौड़ाया। इसके अलावा दौड़ने के लिए बैलों की पूंछ को मरोड़ा गया, उन्हें पीटा गया, उन्हें धातु के हँसिया और कील लगी लकड़ी चुभोयी गयी।

दर्शकों द्वारा इसके समानांतर एक और अवैध जल्लीकट्टू चलायी गई

7 जगहों पर आयोजित हुई जल्लीकट्टू में में जांचकर्ताओं ने देखा की वहीं दर्शकों ने इसके समांतर एक और जललिकट्टू चलकर बैलों को जबरन भागने पर मजबूर किया गया एवं उन्हें प्रताड़ित किया गया। संग्रह यार्ड के अंदर और बाहर वही अवैध प्रथा देखी गई और उनका वीडियो बनाया गया जैसा कि पहले कहा गया था, और विशेष रूप से अवनीपुरम और पालामेडु में यह क्रूरता बड़े पैमाने पर होते हुए देखा गया। समानांतर जल्लीकट्टू पहले से ही भयभीत बैलों के लिए अतिरिक्त शारीरिक चोट और मानसिक आघात पहुँचने का कारण बना।

COVID-19 दिशानिर्देशों का खुलेआम उल्लंघन किया गया

2022 में आयोजित जल्लीकट्टू कार्यक्रमों के दौरान COVID-19 दिशानिर्देशों का आंकलन किया गया और देखा गया कि सभी आयोजनों के दौरान कोविड के नियमों की अनदेखी की गयी और खुलेआम उल्लंघन किया गया। वेल्लोर में, बैल दौड़ को निलंबित कर दिया गया था क्योंकि उपस्थित लोगों ने अभ्यास के दौरान COVID-19 मानकों (SOP) का उल्लंघन किया था। 22 जनवरी 2022 को द हिंदू में एक लेख में लिखा गया कि “वेल्लोर में बैल दौड़ निलंबित कर दी गयी है क्योंकि लोग नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं”, दिनांक 22 जनवरी 2022 को कहा गया, “कोविड-19 संक्रमणों की बढ़ती संख्या के मद्देनजर और बैल दौड़ के दौरान नियमों का पालन ना होने से, कलेक्टर पी. कुमारवेल पांडियन ने शनिवार को अगली अधिसूचना तक जिले में बैल दौड़ों को निलंबित कर दिया है। एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, कलेक्टर ने कहा कि “पोंगल में आयोजित बैल दौड़ के दौरान यह पाया गया कि गांवों में कोविड-19 के नियमों का उल्लंघन हुआ है”। राज्य भर में जल्लीकट्टू कार्यक्रमों के आयोजकों द्वारा कोविड-19 प्रतिबंधों की पूरी तरह से अवहेलना करना दर्शाता है कि वे मानव स्वास्थ्य और सुरक्षा के बारे में उतना ही कम ध्यान रखते हैं जितना कि वे बैलों की सुरक्षा और भलाई के बारे में करते हैं।

इन दौड़ों के दौरान देखा गया कि प्रतिभागियों की अधिकतम सीमा 300, दर्शकों की अधिकतम सीमा 150 और अखाड़े की अधिकतम सीमा 50% होने के बावजूद लोग इससे काही अधिक संकया में थे और अधिकतम संख्या के नियम को तोड़ा गया। जांच की गई सात जगहों में कम से कम छह जल्लीकट्टू आयोजनों में यह सभी स्पष्ट रूप उल्लंघन हुए थे।

जांच की गई सात जगाओन पर काही भी सामाजिक दूरी बनाने के नियम का पालन नहीं किया गया और अधिकांश दर्शकों ने फेस मास्क भी नहीं पहने थे, इस प्रकार अनिवार्य दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया। मीडिया रेपोर्ट्स में भी इन नियमों के उलंघन का बार बार उल्लेख किया गया।

इन दौड़ों में शामिल होने से पहले RT-PCR की नकारात्मक रिपोर्ट और COVID-19 टीकाकरण अनिवार्य प्रमाणपत्र दिखाने की आवश्यकता के बिना दर्शकों को यहाँ आने दिया गया।

कानून का खुलेआम उलंघन

भारतीय दंड संहिता, 1860; पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960;

सात जगहों पर आयोजित इन दौड़ों में संग्रह यार्ड मेंबैलों के लिए वस्तुतः कोई भोजन, पीने का पानी या आश्रय नहीं था। यहाँ पर उपलब्ध प्रावधान एवं व्यवस्थाएँ पूरी तरह से अपर्याप्त थी।

 

 

 

 

 

अभी कितने लोग और पीड़ित होंगे और मरेंगे?

2022 में, 13 जनवरी से 30 अप्रैल के दौरान आयोजित हुई जललीकट्टू दौड़ों में दो बैल और 17 इंसानों की मौत हुई थी हो गई, जबकि कुल 1655 इन्सानों और कम से कम छह बैल घायल हुए हैं।

जबसे इस बर्बर खेल पर से प्रतिबंध हटा है, यानी 2017 से लेकर 30 अप्रैल 2022 के दौरान आयोजित जल्लीकट्टू खेलों में कुल 6351 लोग घायल हुए थे। जबकि इन घटनाओं में कथित तौर पर 86 इंसान, 23 बैल और एक गाय की मौत हुई थी।

हालांकि वास्तविक आंकड़े निश्चित रूप से कहीं अधिक हो सकते हैं, क्योंकि समाचार में सभी तरह की  चोटों और मौतों की सूचना नहीं दी जाती है, विशेष रूप से जानवरों और मनुष्यों की वह मौतें और चोटें जो खेल समाप्त होने के कुछ समय बाद होती हैं या जो दूरदराज के गांवों में होती हैं।

 

लोमड़ियों की जल्लीकट्टू भी साल दर साल जारी है

बैलों के साथ दुर्व्यवहार करने के अलावा, तमिलनाडु में साल दर साल लोमड़ियों की अवैध व क्रूर जल्लीकट्टू का आयोजन भी होता है।

इन खेलों के लिए, लोमड़ियों को उनके प्राकृतिक आवास यानि जंगलों से अवैध रूप से पकड़ कर कैद कर लिया जाता है, उनके पिछले पैरों को बांध दिया जाता है, और उन्हें काटने से रोकने के लिए उनका मुंह बंद कर दिया जाता है। यह खेल खेलने के लिए उन्हें रिहा किया जाता है और फिर इन दरी सहमी लोमड़ियों को पकड़ने खदेड़ने का खेल खेला जाता है।

PETA इंडिया की सबसे हालिया जांच ने साबित कर दिया है कि जल्लीकट्टू के आयोजनों के दौरान कोई भी नियम क्रूरता को खत्म नहीं कर सकत, क्योंकि इस हिंसक और खूनी तमाशे का उद्देश्य जानवरों को डराना, धमकाना, उकसाना और उन्हें अत्यधिक शारीरिक और मानसिक आघात पहुंचाना है। PETA इंडिया ने पीसीए (तमिलनाडु संशोधन) अधिनियम, 2017 को निरस्त करने की मांग करते हुए भारत के सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की है। ‘तमिलनाडु संशोधन’ तमिलनाडू राज्य के कानून में किया गया एक ऐसा संशोधन है जो पीसीए अधिनियम, 1960 में संघीय सुरक्षा से इस्तेमाल किए जा रहे बैलों को जललीकट्टू जैसे खेलों मे इस्तेमाल करने की अनुमति देता है।

आप नीचे दी गई अपील पर हस्ताक्षर करके मदद कर सकते हैं।

संकलित किए गए सभी हस्ताक्षर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री को भेजे जाएंगे।

अपील : 

आदरणीय मुख्यमंत्री जी :

तमिलनाडु में 2022 के दौरान आयोजित जल्लीकट्टू में बैलों पर की गई क्रूरता के बारे में जानकर मुझे गहरा दुख हुआ।

PETA इंडिया की नवीनतम जांच और साथ ही पिछली जांच में इस बात की पुष्टि हुई है कि जल्लीकट्टू की घटनाएं, डरे सहमे बैलों की घबराहट का फायदा उठाती हैं और जानबूझकर उन्हें एक भयानक स्थिति में डाल देती हैं, जिसमें वे उन लोगों से दूर भागने के लिए मजबूर हो जाते हैं जिन्हें वे खतरे के रूप में देखते हैं।

तस्वीरों और वीडियो फुटेज के रूप में साक्ष्यों से पता चलता है कि जल्लीकट्टू के आयोजनों के दौरान, बैलों को मारा जाता है, प्रताड़ित किया जाता है और कील लगी लकड़ी के छड़ों व नुकीले हथियारों से यातनाएँ दी जाती है। उनकी पूंछ को काटा और मरोड़ा जाता है, और उनके साथ अन्य क्रूर तरीकों से व्यवहार किया जाता है। 2022 में जांच की गई सात जल्लीकट्टू आयोजनों में से चार में, थके हारे और निर्जलित बैलो को आश्रय या पर्याप्त पानी या चारे के बिना कई घंटों तक कतार में खड़े रहने के बाद क्रूर खेल में भाग लेने के लिए मजबूर किया गया था। उन्हें नाक की रस्सियों से बुरी तरह खींचा गया, जिससे उनके नथुने से खून बहने लगा और कई बैल इस दर्दनाक खेल में हिस्सा लेने और बाद में थकावट या निर्जलीकरण से गिरकर बेहोश हो गए। उन्हें इस तरह के दुर्व्यवहार से गंभीर चोटें आईं, उनकी हड्डियाँ टूटी और यहां तक कि उनकी मौते भी हुई।

यह एक बार फिर से यह साबित हो गया है कि जल्लीकट्टू के दौरान कोई भी नियम क्रूरता को समाप्त नहीं कर सकता है, क्योंकि इस हिंसक क्झेल का मुख्य उद्देश्य बैलों को पीड़ा देना और उन्हें प्रताड़ित करना है जिससे उन्हें अत्यधिक शारीरिक और मानसिक आघात पहुंचता है।

वास्तव में, तमिलनाडु सरकार द्वारा 2017 में जल्लीकट्टू को वैध किए जाने के बाद से अब तक जल्लीकट्टू आयोजनों में कथित रूप से कम से कम 6351 लोग घायल हुए हैं। इसी अवधि में (यानी 2017 और 30 अप्रैल 2022 के बीच), इन घटनाओं में 86 इंसानों, 23 बैलों और एक गाय की कथित तौर पर मौत हो गई। जैसा कि बैलों की सभी मौतों और इन्सानों को लगी चोटों को हमेशा मीडिया द्वारा कवर नहीं किया जाता है, इसके वास्तविक आंकड़े संभवतः बहुत अधिक हैं।

मेरा आपसे विनम्र अनुरोध है कि आप इन जांचों के निष्कर्षों की समीक्षा करें और पशु क्रूरता निवारण (तमिलनाडु संशोधन) अधिनियम, 2017 को निरस्त करके इन क्रूर खेलों पर प्रतिबंध लगाएं, ताकि अनगिनत इन्सानों और पशुओं का जीवन बचाया जा सके।

सादर,

[आपका नाम]

अब समय आ गया है कि फिर से जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध लगाया जाए

बोल्ड लैटर में लिखे स्थानों को भरना अनिवार्य है।