PETA इंडिया की सिफ़ारिश पर मोदी सरकार ने कीटनाशकों के लिए पशु परीक्षण को कम करने के लिए कदम उठाए
PETA इंडिया के वैज्ञानिकों की सिफारिशों के बाद, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के तहत ‘पंजीकरण समिति’) ने 439वीं बैठक में नए दिशानिर्देशों को मंजूरी दे दी है जिससे अनेकों जानवरों की जान बचाई जा सकेगी। RC की 439वीं बैठक की रिपोर्ट के अनुसार नए दिशानिर्देश, जो इस बात की सिफ़ारिश करते हैं कि “गैर पशु आधारित परीक्षण विकल्पो पर भी विचार किया जाए” व इसमे माइक्रोबायल कीटनाशकों के सुरक्षा मूल्यांकन के लिए जानवरों पर परीक्षणों को कम करने के लिए कई प्रावधान भी शामिल हैं।
पंजीकरण समिति की 439वीं बैठक के कार्यवृत्त के अनुसार, यह दिशानिर्देश मौजूदा जानकारी को जाँचने की भी सिफ़ारिश करते हैं जिनमे संरचनात्मक और जैविक रूप से समान कीटनाशकों सहित मौजूदा पशु डेटा और गैर-पशु दृष्टिकोण भी शामिल हैं (in chemico, in vitro, and computational models) जो जानवरों पर परीक्षण को कम करने के साथ वैज्ञानिक रूप से उचित सुरक्षा मूल्यांकन भी प्रदान करें। RC त्वचा और आंखों की जलन तथा त्वचा संवेदीकरण को मापने के लिए ऐसे गैर-पशु विधियों को भी स्वीकार करेगा जो खरगोशों की त्वचा और गिनी सूअरों की आंखों में रसायन डालने जैसे क्रूर और दर्दनाक परीक्षणों की जगह ले सकते हैं।
इन दिशानिर्देशों के जल्द ही केंद्रीय कीटनाशक बोर्ड और पंजीकरण समिति (CIB&RC) की आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित होने की उम्मीद है।
मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए कीटनाशकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु हर साल दुनिया भर में अनेकों जानवरों को मार दिया जाता है। इन परीक्षणों हेतु जानवरों को रसायनों से युक्त जहरीला भोजन दिया जाता है, अलग अलग रसायनों को उनके पेट में डाला जाता है या उन्हें जहरीले रसायन को सूंघने के लिए मजबूर किया जाता है।
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