मनोरंजन के लिए पशुओं का इस्तेमाल

जानवर दर्दभरे, डरावने, भ्रमित करने वाले तथा क्रूरता भरे करतब नहीं दिखाना चाहते लेकिन सर्कस में उनके पास इससे बचने का कोई विकल्प नहीं होता। प्रशिक्षक इन जानवरों से जबरन करतब करवाने के लिए उन पर अत्याचार करते हैं उन्हे नुकीली छड़े चुभोते हैं व बिजली के करंट लगाते हैं।

सिर्फ हाथी ही नहीं बल्कि घोड़े, हिप्पोपोटेमस, चिड़ियाँ, कुत्ते, ऊंट व अन्य जानवर भी प्रशिक्षक की यातनाओं के शिकार होते हैं। सर्कस के दौरान उन्हे एक शहर से दूसरे शहर जाने के लिए उन्हे पिंजरों में बंद करके रखा जाता है व कई कई दिन तक अकेले रहने से वो अकेलेपन व निराशा से घिर जाते हैं। ये जानवर समान की तरह ट्रकों में भरे जाने व एक जगह से दूसरी जगह ढोये जाने की बजाए खुले आसमान में आज़ादी से जीवन यापन करने के लिए बने है ताकि वो अपने परिवारों के साथ रह सकें तथा संगी साथी बना सकें।

इन्सानों के मनोरंजन के लिए चिड़ियाघरों, सर्कस एवं अन्य स्थानों पर क़ैद इन जानवरों की आज़ादी के लिए आवाज़ उठाएँ। अपने समाज को जागरूक करें की इन प्यारे जानवरों की भलाई के लिए लोग अपने बच्चों को सर्कस व चिड़ियाघर दिखाने की बजाए क्रिकेट का मैच या फिर कोई अन्य खेलकूद दिखाने ले जाए जहां जानवरों का शोषण न होता हो।



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