तेलंगाना की Palamur Biosciences Pvt. Ltd.—जो दवाओं, कीटनाशकों और मेडिकल डिवाइसेज़ की टेस्टिंग के लिए जानवरों का इस्तेमाल करती है—उसकी चारदीवारी के पीछे हैरान कर देने वाली क्रूरता छुपी हुई है। यह लैब खुद को भारत की सबसे बड़ी प्रीक्लीनिकल सर्विस देने वाली कंपनी बताती है, लेकिन PETA India के खुलासे ने इसके असली चेहरे को सामने ला दिया है। व्हिसलब्लोअर्स की मदद से PETA India ने इस गुप्त और छुपी हुई दुनिया के अंदर झांकने का मौका दिया है—जहां खून से लथपथ बीगल ज़मीन पर पड़े हैं, मिनीपिग्स को ज़हर दिया जा रहा है, और रीसस बंदरों को मारा जा रहा है।

अक्टूबर 2024 में, PETA India ने Palamur Biosciences के खिलाफ भारतीय प्रजाति के बंदर रीसस मकाक पर संभवतः अवैध परीक्षण को लेकर शिकायत दर्ज करवाई थी। लेकिन उसके बाद जो सामने आया, वह और भी डरावना था—सूत्रों ने जो अंदरूनी जानकारी दी, फोटो और वीडियो शेयर किए। जो पशुओं पर हो रही पीड़ा सामने आई, वो न सिर्फ़ अमानवीय थी बल्कि कानूनी अपराध जैसी लगती है।

ज्यादा कुत्ते, कम जगह—कोई राहत नहीं

Palamur बीगल कुत्तों को भी ब्रीड करता है। सूत्रों का कहना है कि वहां लगभग 1500 कुत्तों को बेहद तंग पिंजरों में ठूंसा गया है, जहां कई कुत्ते ऐसे छोटे पिंजरे में रहते हैं जो सिर्फ़ दो के लिए बने हैं। उन्हें न खेलने का मौका मिलता है, न एक-दूसरे से घुलने-मिलने का। इस तनाव में वे आक्रामक हो जाते हैं और खाने के लिए लड़ते हैं—जिसके चलते कई बार वे एक-दूसरे को काटते हैं। परिणाम? फटे हुए कान, खून से लथपथ शरीर—और किसी भी तरह की दर्द से राहत नहीं।

"काम के नहीं" तो मार दो

एक सूत्र ने बताया कि अगर किसी बीगल को “चेरी आई” या “फंगल इन्फेक्शन ” जैसी इलाज योग्य बीमारी हो, तो भी उसे मरीज नहीं बल्कि बोझ समझा जाता है और उसका इलाज करने की बजाय उसे मार दिया जाता है। एक घटना में 100 से ज्यादा कुत्तों को सिर्फ इसलिए मार दिया गया क्योंकि वे अब “काम के नहीं” थे।

जंगल से उठाए गए बंदर—और मौत

Palamur पर राजस्थान से अवैध रूप से भारतीय प्रजाति के बंदर (रीसस मकाक) को लाने का भी आरोप है—वो भी एक संदिग्ध डीलर के ज़रिए। कुछ बंदरों में मंकीपॉक्स जैसे वायरस की आशंका थी। लेकिन अधिकारियों को सूचित करने के बजाय, उन्हें चुपचाप मार दिया गया ताकि बात बाहर न जाए। जिन बंदरों को वायरस नहीं था, उन्हें भी जल्दबाज़ी में फिर से टेस्ट करके प्रयोगों में झोंक दिया गया। अगर उनमें छिपा हुआ वायरस था, तो नतीजे पूरी तरह गलत हो सकते थे।

सुअर के नवजात बच्चों को भी नहीं बक्शा गया और मार दिया

एक जानकार ने बताया कि Palamur को सुअर का प्रजनन करने का लाइसेंस ही नहीं है। लेकिन जब एक मादा सुअर ने बच्चों को जन्म दिया, तो सभी बच्चों को मार दिया गया। ये बेहद समझदार पशु बिना किसी मानसिक या शारीरिक राहत के पिंजरों में बंद रहते हैं। कागज़ों पर नियम लिखे हुए हैं कि इन्हें खेलने और सामाजिक गतिविधियों के लिए समय और साधन दिए जाएंगे, लेकिन असलियत में उन्हें सिर्फ टेस्टिंग या विज़िटर्स को दिखाने के लिए पिंजरे से बाहर निकाला जाता है—बाकी समय उन्हें पिंजरों में ही रखा जाता है।

पशुओं पर टेस्टिंग कैसी दिखती है Palamur में:

  • कुत्तों की स्किन के नीचे कैमिकल इंजेक्ट किया जाता है, जिससे बड़े फोड़े और इंफेक्शन होते हैं—इतने गंभीर कि कई बार कुत्ते हिल भी नहीं पाते।
  • ज़बरदस्ती दवाएं खिलाई जाती हैं—जिससे उनके मुँह में ज़ख्म, वजन कम होना और दर्दनाक मौत होती है।
  • फटे ज़ख्म, बिना इलाज के दर्द, और ज़रा भी दया नहीं।
    एक सूत्र ने साफ कहा: “ये जगह नरक जैसी है।”

यह लापरवाही नहीं एक आदत है

कर्मचारी कुत्तों को लात मारते हैं, पिंजरे बंद करते वक्त उनके पैर या पूंछ कुचल देते हैं, और इतना बुरा बर्ताव करते हैं कि कभी-कभी उनकी हड्डियाँ तक टूट जाती हैं। कैमरे में बीगल दर्द में रोते दिखे, जैसे रहम की भीख मांग रहे हों। एक कर्मचारी ने कबूल किया:

“अगर कस्टमर या सीनियर न हों, तो हम नियम नहीं मानते।”
एक और ने कहा: “यहां सब कुछ करप्ट है।”

आखिरी पल: डरे हुए, जागते हुए, और अकेले

जब कुत्तों को मारा जाता है, तो thiopentone नाम की दवा दी जाती है—लेकिन बिना उन्हें बेहोश किए। सुअर के बच्चों के दिल में सीधी सुई मारकर उन्हें मार दिया गया।

अपने अंतिम व्यक्त में उन्होंने सिर्फ दर्द और डर महसूस किया, आराम नहीं।

जो कभी नहीं दिखाना चाहते थे—उसी का पर्दा फ़ाश हो गया

PETA India ने Palamur के अंदर से आई फोटो और वीडियो फाइल्स की समीक्षा की, जिसमें दिखा:

एक कुत्ता जिसकी गर्दन पर फोड़ा है—बिलकुल इलाज नहीं

 

पिंजरों के अंदर आपसी लड़ाई में ज़ख्मी बीगल्स, जिन पर अधूरा टांका लगा है
मुंह खोलने वाले रॉड से घायल सूअर

खून से सना कुत्ता

 

सुअर के वह छोटे बच्चे जिन्हें पैदा होने कुछ समय बाद ही मार दिया गया।

अब इन्हें और नजरंदाज करने का वक्त नहीं है

ये सिर्फ Palamur की कहानी नहीं है, ये उस पूरी सिस्टम की झलक है जहां पशुओं को प्रयोग के नाम पर दर्द दिया जाता है, और फिर फेंक दिया जाता है। Palamur Biosciences को जवाबदेह ठहराया जाना ज़रूरी है।

PETA India की मांग:

Palamur में सभी पशुओं पर हो रहे परीक्षणों को हमेशा के लिए बंद किया जाए

 

उनके पास मौजूद सभी जानवरों को तुरंत छुड़ाया और रिहैबिलिटेट किया जाए

 

जिम्मेदार लोगों पर कानूनी कार्यवाही हो

 

पशु अधिकार कानूनों का सख्ती से पालन करवाया जाए

 

विज्ञान में पशु-मुक्त विकल्पों को अपनाया जाए

आप इस क्रूरता को रोकने में मदद कर सकते हैं

अपनी आवाज़ उठाइए। इन पशुओं के लिए न्याय की मांग कीजिए।
हमारी याचिका पर साइन करें और Palamur Biosciences की इस बर्बरता को खत्म करने में मदद करें।


तत्काल कार्रवाई की जरूरत है : पालामूर बायोसाइंसेज में कुत्तों, बंदरों और अन्य पशुओं पर परीक्षणों के नाम पर भयंकर अत्याचार हो रहा है, उन्हें आपकी मदद की ज़रूरत है

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  • Dr. Abhijit Mitra
बोल्ड लैटर में लिखे स्थानों को भरना अनिवार्य है।
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